तुलसीदास जी के दोहे
नामु राम को कलपतरु, कलि कल्यान निवासु
जो सिमरत भयो भाँग, तें तुलसी तुलसीदासु।।
अर्थ—
तुलसीदासजी कहते हैं कि राम का नाम कल्पतरु (मनचाहा पदार्थ देनेवाला )और कल्याण का निवास (मुक्ति का घर ) है जिसको स्मरण करने से भाँग सा (निकृष्ट) तुलसीदास भी तुलसी के समान पवित्र हो गया।